नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा पर राज्यसभा में सोमवार को सभापति ने नियम 176 के अंतर्गत शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन प्रारंभ की बात कही। सभापति ने चर्चा प्रारंभ करने के लिए राज्यसभा सांसद वीरेंद्र प्रसाद वैश्य का नाम भी पुकारा। इसके तुरंत बाद ही विपक्षी सांसद इस कार्रवाई के विरोध में अपने स्थानों पर खड़े हो गए।
विपक्षी सांसदों का कहना था कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर नियम 267 के अंतर्गत विस्तार से चर्चा कराई जाए। इस मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा हुआ और चर्चा शुरू होने से पहले ही सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। सोमवार दोपहर राज्यसभा सभापति ने कहा कि हमें नियम 176 के तहत मणिपुर पर चर्चा कराने के लिए नोटिस मिले थे, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है। इसका मतलब है कि मणिपुर की स्थिति पर संक्षिप्त चर्चा कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि चर्चा की स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है। इसकी तारीख और समय नेता सदन की सलाह पर तय किया जाता है। सभापति ने बताया कि चर्चा का समय तय कर लिया गया है और सोमवार दोपहर 2 बजे सदन को चर्चा शुरू कराए जाने की जानकारी दी गई।
सभापति ने सदन की राय लेते हुए पूछा कि क्या सदन मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इस चर्चा के लिए तैयार है। इसके बाद सभापति ने वीरेंद्र प्रसाद वैश्य का नाम पुकारा और उन्हें चर्चा की शुरुआत करने को कहा।
सभापति द्वारा उठाए गए इस कदम के तुरंत बाद सदन में जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया। इस निर्णय का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद जयराम रमेश खड़े हुए और कहा कि 65 सांसदों ने आपको नियम 267 के अंतर्गत विस्तार से चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं। इन सांसदों ने संक्षिप्त चर्चा का विरोध किया है।
वहीं, इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने भी सोमवार को सदन में कहा कि वह इस मुद्दे पर नियम 267 के अंतर्गत विस्तार से चर्चा चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने नोटिस भी दिया है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां विस्तार से नियम 267 के अंतर्गत चर्चा की मांग कर रही है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनके गठबंधन के कई लोग मणिपुर में लोगों से मुलाकात करके लौटे हैं, मणिपुर जल रहा है, यहां विस्तार से चर्चा कराई जाए। सदन में जबरदस्त हंगामे के बीच विपक्षी सांसद अपने स्थानों पर खड़े हो गए और ‘मणिपुर-मणिपुर’ के नारे लगाने लगे। इस बीच कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने सभापति से कहा, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने का मौका दिया जाए।
इसका जवाब देते हुए सभापति ने कहा क्या ऐसा कोई विशेषाधिकार है कि नेता प्रतिपक्ष कभी भी हस्तक्षेप करते हुए बीच में बोल सकते हैं, ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं है। इसके उपरांत सदन में हंगामा और तेज हो गया। नारेबाजी के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर साढ़े 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसी के साथ सभापति ने कहा कि वह इस मुद्दे पर राज्य सभा में विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं से बात करने जा रहे हैं।