लखनऊ। अफजाल इदरीसी जब पत्रकार नहीं है तो पत्रकार संगठन कैसे चला सकता है ?
यदि वो पत्रकार होने का झूठा दावा करता है तो बताए कि अतीत में कहां काम किया या कहां काम कर रहा है ?
यदि इदरीसी ने कभी किसी अखबार में बतौर पत्रकार काम किया था या कर रहा है तो वो उस अखबार या अखबारों का नाम बताएं ?
यदि वो किसी अखबार में बतौर पत्रकार लिखता है तो वो अखबार कहां छपता है, कहां बिकता है, कहां दिखता है, कौन उस अखबार को पढ़ता है, किसने उस अखबार को देखा है।
उस अखबार का धोखेधड़ी से हजारों की संख्या में प्रसार प्रमाणित भी कर लिया गया है तो क्या उतनी संख्या में उसका अखबार क्या छपता है?
जिस प्रेस में अखबार छपने के दावे इदरीसी करता है क्या किसी जांच मे उस प्रेस का मालिक ये स्वीकारेगा कि इदरीसी के झोला भर अखबार पचासों हजार की संख्या में छपते हैं या नहीं !
इदरीसी पत्रकार होने का फर्जी दावा करता है पर उसकी हैसियत नहीं कि वो किसी एक अखबार का नाम बता दें जिसमें उसने काम किया हो और उस अखबार को किसी एक आदमी ने भी कभी देखा हो, या कोई उसे जानता हो।
इदरीसी फर्जी अखबारों के जरिए सरकारी रेवेन्यू पर डाका डालने और जीएसटी चोरी करने का भी अपराधी है।
दरअसल ये शख्स सोशल मीडिया, जनहित याचिका और आरटीआई का दुरूपयोग कर ब्लैकमेलिंग के पेशेवर एक गैंग का सदस्य है।