(शाश्वत तिवारी) : विदेश मंत्री एस0 जयशंकर जी-20 की बैठक में भाग लेने बनारस पहुंचे जहाँ उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर मंदिरों के संरक्षण की आवश्यकता अब पहले की अपेक्षा कहीं अधिक है। मंदिरों का प्रसार भारतीय पारंपरिक ज्ञान के केंद्र और शिल्प के प्रोत्साहन के अतिरिक्त विदेश में भारतीय विरासत की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फ्रांस व बहरीन में मंदिर निर्माण की स्वीकृति मिल गई है, जल्द ही वहां भारत सरकार के सहयोग से निर्माण शुरू होगा। इसके लिए विदेश मंत्रालय में संस्कृति संरक्षण विभाग का गठन किया गया है।
विश्व स्तर पर भारतीय हितों के संदर्भ में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा के प्रतीक मंदिरों का निर्माण, उनका संरक्षण-संवर्द्धन और उनको पुनर्स्थापित करने का प्रयास विदेश नीति का भी हिस्सा है। अबू धाबी में मंदिर निर्माण का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चला है। अमेरिका के न्यू जर्सी में शीघ्र ही नए मंदिर की नींव पड़ेगी। विदेश मंत्री रविवार को काशी के प्रबुद्धजन को ‘भारत की विदेश नीति: उद्देश्य और विशेषताएं’ विषय पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ सभागार में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि मंदिरों के पुनरोत्थान से हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि विश्व को एक साथ लाने में मदद मिली है। इससे विदेश से संपर्क और कारोबार ही नहीं बढ़ा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान से आपसी संबंधों को भी मजबूती मिली है।