- -उत्तर प्रदेश में‘स्वच्छ भारत मिशन’ के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीएम योगी के निर्देश पर शासन ने कसी कमर
- -स्वच्छता गतिविधियों के कुशल संचालन के लिए ग्राम पंचायत के प्रधानों, सचिवों, पंचायत सदस्यों व सफाई कर्मियों का प्रशिक्षण जारी
- -प्रदेश में कुल 100437 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना प्रस्तावित, राज्य में 22 डीपीआरसी में कुल 135 प्रशिक्षक किए जाएंगे नियुक्त
- -मिशन के अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्यों के लिए प्रति जिला 6 इंजीनियर्स होंगे नियुक्त, प्रदेश में कुल 450 इंजीनियर निभाएंगे प्रशिक्षक की भूमिका
- -वर्ष 2025 तक राज्य के सभी ग्राम पंचायतों के 95826 राजस्व ग्रामों को ओडीएफ प्लस गांव बनाने की योजना पर तेजी से हो रहा कार्य
लखनऊ, 7 जून। प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देने और राज्य के सभी ग्रामों में स्वच्छता को स्थायी रूप से प्रभावी बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार वृहद स्तर पर कार्यरत है। स्वच्छता कार्यक्रम सुचारू रूप से काम करता रहे, इसके लिए प्रदेश सरकार ने 2023-24 के लिए रणनीति तैयार की है। स्वच्छता को बढ़ावा देने की गतिविधियों के कुशल संचालन के लिए ग्राम पंचायत के प्रधानों, सचिवों, पंचायत सदस्यों व सफाई कर्मियों का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। प्रदेश में कुल 100437 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किए जाने की योजना प्रस्तावित की गई है। इस क्रम में पूरे राज्य में 22 डीपीआरसी (डिस्ट्रक्ट पंचायती राज रिसोर्स सेंटर) में कुल 135 प्रशिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं जो कि सभी सम्बंधित ट्रेनिंग प्रक्रिया को अंजाम देंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में स्वच्छ भारत के अंतर्गत पहले फेज में साल 2014 से 2018 के बीच जो कार्य हुए उन्हीं को सेकेंड फेज (साल 2020 से 2025 तक) में आगे बढ़ाते हुए साल 2025 तक प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों की 95,826 राजस्व गांवों को मॉडल ग्राम बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
73 प्रतिशत प्रशिक्षण हुआ पूरा
योजना के मुताबिक, प्रदेश में कुल कुल 22 डीपीआरसी केंद्र बनाए जा रहे हैं जिसमें प्रति केंद्र 6 प्रशिक्षक के रूप में कुल 135 प्रशिक्षक तैयार किए गए हैं। इसमें से ग्राम पंचायत की टीम के कुल 90837 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रस्तावित है। इसमें से अब तक 73 परसेंट यानी 65604 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूरा हो गया है। वहीं, वर्ष 2023-24 के लक्ष्य के अनुसार प्रदेश में चयनित 43252 गांवों में एक राजगीर का चयन प्रस्तावित है।
राज मिस्त्रियों का प्रशिक्षण भी जारी
इसके अतिरिक्त, प्रत्येक चयनित गांवों में ऑनसाइट प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी जारी है। वहीं, स्वच्छता मिशन के तमाम गतिविधियों को अमलीजामा पहनाने के लिए कुल 43252 राजमिस्त्रियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी जारी है जिसमें से 28000 यानी कि 65 परसेंट की प्रशिक्षण प्रक्रिया खत्म हो गई है। इनमें से क्रियान्वयन व संचालन के सापेक्ष ग्राम पंचायत टीम द्वारा 45 जिलों व निर्माण के सापेक्ष राजमिस्त्रियों का 61 जिलों में प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। जून माह के अंत तक प्रशिक्षण संबंधित सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी तरह से अमलीजामा पहनाने में सफलता मिल सकती है।
कार्य योजना, प्रस्तुतिकरण व व्यय निर्धारण पर फोकस
दूसरी ओर, प्रदेश में स्वच्छता मिशन के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से जारी गतिविधियों की निगरानी के लिए सभी जिलों द्वारा निदेशालय स्तर पर कार्य योजना निर्माण, प्रस्तुतिकरण व व्यय निर्धारण की प्रक्रिया पर भी कार्य हो रहा है। इस क्रम में अब तक 46 जिलों के 11,924 गांवों व 8368 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव मिल चुके हैं। इनमें से 2,268 ग्राम पंचायतों की लिमिट निर्धारित कर दी गई है।
दो चरण में हो रहा है कार्य
प्रदेश में पंचायती राज विभाग द्वारा स्टेट सैनिटेशन मिशन के अंतर्गत दो फेज में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। यूं तो, प्रदेश के सभी जिले 2 अक्टूबर 2018 तक पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं, मगर अब इसे एक स्तर और ऊपर बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी 57,704 ग्राम पंचायतों में सम्मिलित 95,826 गांवों को ओडीएफ प्लस (ओपन डेफिकेशन फ्री) के अंतर्गत उदीयमान, उज्ज्वल और उत्कृष्ट केटेगरी में बांटा जा रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में पहले फेज में कुल 2.16 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया था। ऐसे में, इनके रख-रखाव, पात्र परिवारों तक पहुंच और ठोस व तरल अपशिष्ट के सुचारू प्रबंधन को स्थायी बनाकर प्रदेश के सभी गांवों को इसका लाभ पहुंचाने की दिशा में राज्य सरकार वृहद स्तर पर कार्य कर रही है।