कोलकाता। पश्चिम बंगाल के गवर्नर हाउस ने राज्यपाल सी.वी. आनंदा बोस के निर्देश की ‘अनदेखी’ करने पर सभी के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और विश्वविद्यालय मामलों पर साप्ताहिक रिपोर्ट राजभवन को सौंपने का निर्देश दिया। राज्य के छह विश्वविद्यालय हैं – काजी नजरुल विश्वविद्यालय, सिधो-कान्हो-बिरसा विश्वविद्यालय, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय और बर्दवान विश्वविद्यालय।
4 अप्रैल को गवर्नर हाउस ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राजभवन को एक साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, जिसमें कुलपतियों को वित्त संबंधी सभी मामलों में राजभवन से पूर्व सहमति लेने के लिए भी कहा गया था।
हालांकि, साप्ताहिक रिपोर्ट सौंपने के प्रति विश्वविद्यालयों की ओर से अनिच्छा दिखाए जाने को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल के विशेष सचिव के कार्यालय द्वारा 22 मई को कुलपतियों को एक अनुस्मारक भेजा गया था।
कोई जवाब नहीं मिलने के बाद अब गवर्नर हाउस ने राज्य के छह विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं।
इस मुद्दे पर गवर्नर हाउस और राज्य के शिक्षा विभाग के बीच एक शीतयुद्ध पहले ही शुरू हो चुका है। शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने बोस के कदम को ‘उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की कार्रवाई’ के रूप में वर्णित किया है।
बसु ने यह भी कहा था कि उनका विभाग इस मामले में कानूनी जानकारों से परामर्श कर रहा है।
इससे पहले, राज्य के शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच राज्यपाल द्वारा राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में गतिविधियों की समीक्षा के लिए बार-बार दौरा करने पर विवाद छिड़ गया था।
राज्य सरकार ने बोस की यात्राओं पर आपत्ति जताते हुए दावा किया है कि शिक्षा विभाग को पूर्व सूचना दिए बिना राज्यपाल को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए था।