द इंडियन व्यू डेस्क : हाल ही में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इसमें केंद्रीय गृह सचिव, डीजी,आईटीबीपी, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमावर्ती जिलों के जिला कलेक्टर व जिला विकास अधिकारी तथा गृह मंत्रालय और कई अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की अवधारणा के पीछे 2 मुख्य पहलू हैं- सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोकने के लिए उन्हें विकसित करके सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ना, और देश के संविधान के अनुसार, प्रत्येक गांव का देश के संसाधनों पर समान अधिकार है। भौगोलिक विषमता और कनेक्टिविटी के कारण आजादी के 75 सालों में कहीं ना कहीं इन सीमांत गाँवों के नागरिक विकास से पिछड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी विकास करना है तो इसके छोटे से छोटे गाँव में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को प्राथमिक सुविधाओं, रोजगार, स्वास्थ्य और आने वाली पीढ़ी के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले 9 साल में सीमा के इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 25000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च किए। 1134 किलोमीटर लंबी बॉर्डर रोड का निर्माण किया जा चुका है, लगभग सभी चेक-पोस्ट का काम पूरा कर लिया गया है। इन क्षेत्रों में एयर कनेक्टिविटी और बॉर्डर एरिया डेवलेपमेंट कार्यक्रम में भी तेजी आई है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इससे आगे सोचकर हर गाँव को मजबूत कर पलायन को रोकने की दिशा में हम काम करें और इसी भावना के साथ वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरु किया गया है। इसके प्रथम चरण में 19 जिलों के 46 ब्लॉक में 662 गाँवों को शामिल किया गया है। श्री शाह ने कहा कि सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने के 3 मुख्य तरीके हैं- गाँवों में केन्द्र की जनकल्याणकारी योजनाओं की 100% क्रियान्वयन, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा और देश के बाकी हिस्सों के साथ गाँवों के डिजिटल और भावनात्मक संपर्क को बढ़ाना।
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि इस पलायन को रोका जाए। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की आर्थिक विकास, सड़क संपर्क, आवास और ग्राम संरचना, परंपरागत स्त्रोंतों से ऊर्जा की परिपूर्ति, दूरदर्शन की उपलब्धता, टेलीफोन की उपलब्धता, वित्तीय समावेशन, कोऑपरेटिव और कौशल विकास की विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि जहाँ ITBP और सेना के एस्टेब्लिशमेंट हैं वहां उनकी जिम्मेदारी है कि उन पर होने वाले सरकारी दैनिक व्यय के 30 प्रतिशत को ग्रामीण रोजगार के साथ जोड़ा जाए और जहाँ बड़े एस्टेब्लिशमेंट हैं उसके अंतर्गत गांवों का एक क्लस्टर बनाया जाए।
अमित शाह ने कहा कि सीमावर्ती जिलों के जिला अधिकारी हर गांव में पांच मुख्य बातों पर ध्यान दें – प्रत्येक वर्ष हर गांव में स्थानीय परिस्थिति और मौसम के अनुरुप पांच पर्यटन संबंधी; पांच रोजगार संबंधी; पांच कृषि, हस्तशिल्प और कॉऑपरेटिव संबंधी; पांच मूलभूत सुविधाओं संबंधी इनिशीएटीव लें; भारत सरकार तथा राज्य सरकार की सभी योजनाओं का सेचुरेशन गांवों में सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वायब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम के तहत गांवों में सहकारी समितियों के माध्यम से रोजगार बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। श्री शाह ने आश्वासन दिया कि गृह मंत्रालय सीमान्त राज्यों में इनर लाइन परमिट में सुधार व व्यापार के पुराने रूट्स को खोलने का काम करेगा। राज्य सरकारें भी प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ हर 15 दिन में सबसे अच्छा करने वाले वाइब्रेंट विलेज की घोषणा करे ताकि अन्य गांवों को अच्छा करने का प्रोत्साहन मिले। भारत और राज्य सरकार के इन प्रयासों से वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को गति मिलेगी और अवश्य ही एक साल बाद होने वाले रिव्यू में सफलता प्राप्त होगी।