राघवेन्द्र प्रताप सिंह : भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक इस समय भारत दौरे पर हैं और उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की है। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नाम्गेल वांगचुक का यह दो दिवसीय दौरा भारत भूटान के द्विपक्षीय संबंधों को नई मजबूती देने का काम करेगा।
भूटान के नरेश का भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एयरपोर्ट पर स्वागत किया। भूटान नरेश के भारत दौरे की अहमियत पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि इस दौरे से दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे।
आज का लोकतांत्रिक भूटान अपनी संप्रभुता के एक महत्त्वपूर्ण आयाम के रूप में स्वतंत्र विदेश नीति के लिये प्रयास कर रहा है ताकि भारत के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध बने रहें और चीन सहित अन्य शक्तियों से भी संतुलन सधा रहे। निवेश की आकांक्षा से अपने उत्तर-पूर्व पड़ोसी चीन के प्रति आकर्षण से भूटान इसलिये भी स्वयं को बचाता है, क्योंकि भारत से उसके संबंध बेहद विश्वासपूर्ण रहे हैं।
भारत, भूटान के साथ ई-स्कूलों (e-schools), अंतरिक्ष (space) और डिजिटल भुगतान (Digital Payment) से लेकर आपदा प्रबंधन तक बड़े पैमाने पर सहयोग करने की कोशिश कर रहा है। इस समय भूटान के चार हज़ार से अधिक छात्र भारत में अध्ययनरत हैं तथा इस संख्या में और अधिक वृद्धि की जा सकती है।
आपको बता दें कि भूटान भारत की पड़ोसी प्रथम नीति का हिस्सा है। वर्ष 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री का पद सँभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले विदेश दौरे के लिये भूटान को ही चुना था। वर्ष 2019 में जब नरेंद्र मोदी ने दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो बिम्सटेक देशों के नेताओं को आमत्रित किया गया था, जिसमें भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग भी शामिल थे।
भूटान भारत का निकटतम पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच खुली सीमा है। द्विपक्षीय भारतीय-भूटान समूह सीमा प्रबंधन और सुरक्षा की स्थापना दोनों देशों के बीच सीमा की सुरक्षा करने के लिये की गई है। वर्ष 1971 के बाद से भूटान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र में भूटान जैसे छोटे हिमालयी देश के प्रवेश का समर्थन भी भारत ने ही किया था, जिसके बाद से इस देश को संयुक्त राष्ट्र से विशेष सहायता मिलती है। भारत के साथ भूटान मज़बूत आर्थिक, रणनीतिक और सैन्य संबंध रखता है। भूटान सार्क का संस्थापक सदस्य है और बिम्सटेक, विश्व बैंक तथा IMF का सदस्य भी बन चुका है। भौगोलिक स्थिति के कारण भूटान दुनिया के बाकी हिस्सों से कटा हुआ था, लेकिन अब भूटान ने दुनिया में अपनी जगह बनाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। हालिया समय में भूटान ने एक खुली-द्वार नीति विकसित की है और दुनिया के कई देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के प्रयास किये हैं।