- चीन ने एक दशक के भीतर अपने बेड़े में 148 युद्धपोत जोड़कर नौसैन्य क्षमता बढ़ाई
- भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेनाएं भी बढ़ा रही हैं अपनी ताकत
नई दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता का ”मैराथन” देख रहा है, जिसके कारण इस क्षेत्र में नौसैनिक हथियारों की दौड़ शुरू हो गई है। यही वजह है कि बीजिंग ने पिछले एक दशक में भारतीय समुद्री सेना की ताकत के लगभग बराबर 148 युद्धपोत अपने बेड़े में जोड़कर नौसैन्य क्षमता बढ़ाई है।
नौसेना प्रमुख ने यह विचार विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में दिए व्याख्यान में व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन के बीच लंबी मैराथन होगी। पश्चिम और चीन के बीच हथियारों की होड़ मित्र देशों और केंद्रीय शक्तियों के बीच विश्व युद्ध के एक युग के समान है। उदाहरण के लिए चीन ने पिछले 10 वर्षों में 148 युद्धपोत शामिल किए हैं, जो शायद पूरी भारतीय नौसेना के बराबर है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। नौसेना प्रमुख ने बताया कि प्रतिद्वंद्विता ने क्षेत्र में कई जगह संघर्ष की स्थिति बनाई है, जिसमें कई बाहरी ताकतें भी शामिल होना चाहती हैं।
उन्होंने ”मेड इन इंडिया” के तहत देश के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण में देश की महत्वपूर्ण उपलब्धि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस विमानवाहक पोत के निर्माण में स्टील सहित स्वदेशी उपकरणों का बहुत अधिक प्रतिशत में इस्तेमाल किया गया है। इसमें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और स्थानीय स्टील कंपनियों का खास योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि नौसेना के लिए 43 युद्धपोतों और पनडुब्बियों में से 41 भारत में ही बनाए जा रहे हैं।
नौसेना प्रमुख ने तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों ने खुद को भविष्य के लिए ”पुनर्गठन और पुनर्संरचना” के मार्ग पर स्थापित किया है। उन्होंने सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना, रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख की नियुक्ति, अग्निपथ भर्ती योजना की शुरुआत और तीनों सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए थियेटर कमांड की पहल को सही दिशा में कदम बताया।एडमिरल कुमार ने कहा कि इस तरह की संगठनात्मक व्यवस्था पर हमें तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।
नौसेना अध्यक्ष ने भारत के समुद्री चरित्र पर कहा कि मुझे लगता है कि देश का समुद्री परिदृश्य अब हमारे समग्र दृष्टिकोण को आकार दे रहा है और संभवत: वह मान्यता हासिल कर रहा है, जिसका वह हकदार है।उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा और भारत की समृद्धि शायद राजनीति, नीति निर्माताओं और भारत के लोगों के लिए अधिक स्पष्ट हो रही है। उन्होंने कहा कि इस समय समुद्री भारत बढ़ रहा है और समय की मांग है कि हम इस उच्च जल में नौकायन करने के अवसर को मजबूती के साथ पकड़ें।