नई दिल्ली। सबरीमाला मामले से जुड़े कानूनी सवालों पर विचार कर रही सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान बेंच ने दाउदी बोहरा समुदाय में नियम न मानने वाले लोगों को समुदाय से बाहर करने के मामले को नौ जजों की बेंच को भेजने का आदेश दिया है। यह जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट 1962 के उस फैसले की पड़ताल कर रहा थाा, जिसमें बोहरा समुदाय को नियम न मानने वालों को समुदाय से बाहर करने का अधिकार दिया गया था। 1962 का फैसला पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने दिया था। महाराष्ट्र में 2016 में सामाजिक बहिष्कार निरोधक कानून बना कर बोहरा समुदाय से बाहर करने के अधिकार पर रोक लगा दिया गया था।
सुनवाई के दौरान पक्षकारों ने संविधान बेंच से आग्रह किया था कि वो सबरीमाला मामले से जुड़े कानूनी सवालों पर नौ सदस्यीय बेंच के फैसले का इंतजार करे। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि या तो ये संविधान बेंच नौ सदस्यीय बेंच को विचार के लिए भेज दे या नौ सदस्यीय संविधान बेंच को सहयोग करे। उन्होंने कहा था कि 1962 का फैसला भी पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने किया था ऐसे में इस पांच सदस्यीय बेंच को उसकी पड़ताल नहीं करनी चाहिए। याचिकाकर्ता दाई-अल-मुतलक की ओर से वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन ने कहा था कि नौ सदस्यीय संविधान बेंच के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए।