राघवेन्द्र प्रताप सिंह : हाल ही में बांग्लादेश श्रीलंका और नेपाल समेत दक्षिण एशिया के कुछ देशों ने वंदे भारत ट्रेन में रुचि दिखाई है। इनकी टीमों ने भारत का दौरा भी किया है। जिन देशों ने रुचि दिखाई है उनमें से प्रत्येक में एक-एक रेल भेजने की तैयारी है। इसीलिए अब वंदे भारत को निर्यात के अनुकूल बनाने की राह पर इंडियन रेलवे चलने को तैयार है।
वंदे भारत ट्रेन को विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी तकनीक से बन रही इस ट्रेन को रेलवे मंत्रालय निर्यात के अनुकूल बनाएगा। इसके लिए ट्रेन की गति बढ़ाने के साथ-साथ कई फीचर को अपडेट किया जा रहा है। तेज गति की शताब्दी एक्सप्रेस के विकल्प के रूप में चलाई-बनाई जा रही इस ट्रेन की संख्या जब 475 तक पहुंच जाएगी तो उसके बाद निर्यात की ओर कदम बढ़ाया जाएगा।
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में हर महीने लगभग दस ट्रेनें बनाई जा रही हैं। जल्द ही कपूरथला और रायबरेली में भी निर्माण प्रारंभ हो जाने वाला है। इसका उत्पादन और डिजाइन सौ प्रतिशत स्वदेशी है। पहले से बेहतर और अधिक सुविधायुक्त है।
इसकी अधिकतम गति 160 किमी प्रतिघंटा है। इस स्पीड को यह ट्रेन स्टार्ट होने के महज 140 सेकेंड के भीतर प्राप्त कर लेगी। पहले इसमें 145 सेकेंड लगते थे। चलती ट्रेन में यात्रियों को सूचना पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।