डब्ल्यूएचओ ने साउथ ईस्ट एशिया में  मीजल्स के खतरों के प्रति किया आगाह

राघवेन्द्र प्रताप सिंह : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से हाल ही में अपील की है कि वे मीजल्स ( खसरे) से निपटने की दिशा में प्रयास तेज़ कर दें। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में मीजल्स के मामलों में वृद्धि हो रही है और पिछले 2 साल में करीब 9 मिलियन बच्चे ऐसे हैं जो इस बीमारी से निपटने वाले वैक्सिनेशन से दूर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्वी एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने कहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए इस क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता , दृढ़ निश्चय और सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।

 

दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में खसरा और रूबेला के उन्मूलन की रणनीति :

 

हाल के कुछ वर्षों में दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के लगभग सभी देशों ने अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में खसरा के टीके की दो खुराकों और रूबेला के टिके की कम-से-कम एक खुराक को शामिल किया है।

 

WHO द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 के बाद से अब तक इस क्षेत्र में लगभग 500 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को खसरा और रूबेला का टीका लगाया गया है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में खसरा और रूबेला के निगरानी तंत्र को मज़बूत करने का कार्य भी किया गया है।

 

गौरतलब है कि WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (WHO South-East Asia Region) के सदस्य देशों ने बीते वर्ष सितंबर माह में खसरा (Measles) और रूबेला (Rubella) के उन्मूलन के लिये वर्ष 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित किया था और मालदीव तथा श्रीलंका ने इससे पूर्व ही यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।

 

भारत में खसरा और रूबेला :

 

वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, मई, 2018 से अप्रैल, 2019 की अवधि के बीच भारत में खसरे  के कुल 47,056 और रूबेला के कुल 1,263 मामले सामने आए थे।

 

गौरतलब है कि भारत ने विश्व के सबसे बड़े खसरा-रूबेला (MR) उन्मूलन अभियान की शुरुआत की है, जिसमें 9 महीने से 15 वर्ष तक की आयु के 410 मिलियन बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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