मुंबई। आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को लोन फ्रॉड मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद मंगलवार को जेल से रिहा कर दिया गया। आज सुबह चंदा कोचर को भायखला महिला जेल से और दीपक कोचर को आर्थर रोड जेल से कानूनी प्रक्रिया पूरा करने के बाद रिहा किया गया।
सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (सीबीआई) ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक लोन फ्रॉड मामले में कोचर दंपत्ति को 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद मुंबई की कोर्ट ने कोचर दंपत्ति को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। कोचर दंपत्ति के वकील ने सीबीआई की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए बाम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बाम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सीबीआई की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए कोचर दंपत्ति को रिहा करने का आदेश जारी किया था।
दरअसल, सीबीआई का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत की वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया था। यह व्यवहार आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के कार्यकाल में किया गया था। इस मंजूरी के एवज में धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच यह रकम हेराफेरी कर पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को स्थानांतरित की गई। इसी मामले में सीबीआई ने चंदा कोचर और दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था।