(शाश्वत तिवारी)। विदेश मंत्री एसo जयशंकर संयुक्त अरब अमीरात की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्होंने अबू धाबी में निर्माणाधीन हिंदू मंदिर का दौरा किया, जिसे अरब प्रायद्वीप में पहला पारंपरिक मंदिर कहा जाता है। इस दौरान जयशंकर ने इसके “तेजी से प्रगति” पर प्रसन्नता व्यक्त की। गौरतलब है हैं संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी के बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था द्वारा किया जा रहा है। इस बीच विदेश मंत्री ने सहिष्णुता और सह-अस्तित्व मंत्री शेख नाहयान बिन मबारक अल नाहयान से भी मुलाकात की और भारतीय समुदाय, योग गतिविधियों, क्रिकेट और सांस्कृतिक सहयोग के लिए उनके मजबूत समर्थन की सराहना की।
2015 में यूएइ सरकार ने पीएम मोदी की पश्चिम एशियाई देश की पहली यात्रा के दौरान मंदिर के निर्माण के लिए अबू धाबी के पास जमीन आवंटित करने का फैसला किया था। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी क्षेत्रों के 1,700 से अधिक भारतीय और अमीराती गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में पारंपरिक पत्थर के मंदिर के एक माडल का अनावरण किया था।
पीएम मोदी ने तब कहा था कि अबू धाबी में पहला पारंपरिक मंदिर दोनों देशों के बीच मानवीय मूल्यों और सद्भाव के उत्कर्ष के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा। ये मंदिर भारत की पहचान का माध्यम बनेगा।
विदेश मंत्री के दौरे पर यूएई में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया कि डाo एस जयशंकर की यात्रा की शुभ शुरुआत, विदेश मंत्री ने अबू धाबी मंदिर में बीएपीएस का दौरा किया और इसकी वास्तुकला में एक ईंट रखी। शांति, सहिष्णुता और सद्भाव के प्रतीक प्रतिष्ठित मंदिर के निर्माण में सभी भारतीयों के प्रयासों की भी सराहना की।
साथ ही विदेश मंत्री की टिप्पणियों को प्रेरणादायक बीएपीएस के रूप में परिभाषित करते हुए ट्वीट किया इस शुभ दिन पर मंदिर की यात्रा के लिए डाo एसo जयशंकर के प्रति हमारी गहरी कृतज्ञता। शिल्पकारों, स्वयंसेवकों और योगदानकर्ताओं के लिए उनके प्रेरणा के शब्दों ने इस मंदिर की भूमिका को एक आध्यात्मिक ओएसिस के रूप में रेखांकित किया है।
भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि फ्रांस के एमएफए ने फ्रांस के यूएनएससी की अध्यक्षता ग्रहण करने से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र परामर्श के लिए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हम साथ मिलकर बहुपक्षवाद को कायम रखने और उसमें सुधार करने में सक्षम हैं। यही कारण है कि फ्रांस UNSC में भारत के लिए एक स्थायी सीट का समर्थन करता है।