प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 सितंबर को कोच्चि के कालडी गांव स्थित श्री आदि शंकर जन्मभूमि क्षेत्रम, जोकि आदि शंकराचार्य की पवित्र जन्मस्थली है, का दौरा किया।
हिंदू धर्म में में भगवान शिव के साक्षात् अवतार माने जाने वाले आदि शंकर का जन्म वैशाख मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था। बहुत कम उम्र ही में ही वेद , पुराण और धार्मिक शास्त्रों में निपुण होकर पूरे भारत में सनातन परंपरा से जुड़े लोगों को एक सूत्र में बांधने का उन्होंने अद्वितीय काम किया था।
मान्यता है कि मात्र 12 साल की आयु में वे सभी शास्त्रों में पारंगत हो गए थे और 16 साल की उम्र में उन्होंने विभन्न प्रकार के उपनिषदों की भाष्य रचना की थी। उन्होंने हमें अद्वैत का मार्ग दिखलाया, जिसका अर्थ, होता है इस विश्व में सारी चीजें ‘ ब्रह्म ‘ है और सभी एक हैं. शंकराचार्य जी ‘अद्वैतवाद के प्रवर्तक’ माने जाते हैं।
जिस समय देश में सनातन परंपरा की उपेक्षा और अन्य धर्मों का प्रभाव बढ़ रहा था, उस सयम आदि शंकराचार्य ने सनातन परंपरा के प्रचार-प्रसार और उसे सुगठित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्होंने देश में कई कई तीर्थ स्थानों की स्थापना भी की थी।