छह साल में छह गुना बढ़ी आयुष मेडिसिन इंडस्ट्री

  • केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य डॉ राजेश कोटेजा ने साझा की आयुष की प्रगति की जानकारी
  • कोरोना के दौर में आयुष की वैश्विक उपलब्धियों को देख जामनगर में अपना सेंटर खोल रहा डब्लूएचओ
  • महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज स्मृति सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला का तीसरा दिन

गोरखपुर । 2014 के बाद भारत सरकार द्वारा आयुष को महत्व दिए जाने से इस पर आधारित मेडिसिन इंडस्ट्री छह गुना रफ्तार से आगे बढ़ी है। 2014 में किए गए एक उच्च स्तरीय अध्ययन में निष्कर्ष निकला था कि देश में आयुष इंडस्ट्री का आकार 3 बिलियन डॉलर का था। 2020 में दोबारा हुए अध्ययन में यह आंकड़ा 18.1 बिलियन डॉलर पहुंच चुका था। छह साल में छह गुना विकास दर्शाने वाला यह आंकड़ा देश में आयुष को बढ़ावा देने के कदमों की झलक दिखा जाता है।

यह जानकारी केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव, पद्मश्री वैद्य डॉ राजेश कोटेजा ने दी। वह बुधवार अपराह्न महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार गोरखपुर के प्रथम स्थापना दिवस (28 अगस्त) के उपलक्ष्य में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज स्मृति सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के तीसरे दिन ‘आजाद भारत में आयुर्वेद:2014 के पूर्व एवं इसके बाद’ विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे। डॉ कोटेजा ने कहा कि कोरोना संकटकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदर्शी सोच से आयुष विभाग को इस संकट को अवसर के रूप में लेने की नसीहत दी थी। इसके बाद टास्क फोर्स बनाकर लोगों को कोरोना से मुक्त कराने का अभियान शुरू कर दिया गया। आयुष को लेकर तब काफी दुष्प्रचार भी हुआ लेकिन लोगों ने भ्रामक प्रचार को दरकिनार करते हुए इस पर पूरा भरोसा रखा। कोरोना के दौर में लोगों को रोग मुक्त व निरोग रखने में गिलोय, अश्वगंधा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयुष पर लोगों के भरोसे को इससे समझा जा सकता है कि करीब दो हजार करोड़ रुपये का कारोबार सिर्फ आयुष काढ़ा का हुआ। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय हुए एक सर्वे में 89.9 प्रतिशत लोग आयुष दवाओं का प्रयोग करते पाए गए।

वैद्य डॉ कोटेजा ने कोरोना के दौर में आयुष विभाग की तरफ से किए गए कई अध्ययनों के निष्कर्ष को साझा करते हुए बताया कि आयुष की सफलता पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) भी मुरीद हो गया। डब्लूएचओ गुजरात के जामनगर में अपना सेंटर स्थापित कर रहा है तो इसमें आयुष की महत्वपूर्ण भूमिका है। आयुष मंत्रालय के सचिव डॉ कोटेजा ने कहा कि हाल के दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी रिफॉर्म हुए हैं। इससे आने वाले समय में आयुर्वेद व आयुष के क्षेत्र में सुपर स्पेशलिटी कोर्सेज की भी शुरुआत होगी। उन्होंने बीएएमएस के छात्रोंका आह्वान किया कि वे सोच ऊंची रखें, बड़ा स्वप्न देखें और पढ़ाई पूर्ण करने के बाद खुद को डॉक्टर की बजाय वैद्य कहलाना अधिक पसंद करें। साथ ही यह उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले कुछ सालों में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक होगा।

पीएम मोदी व सीएम मोदी के प्रयासों से तेज हुआ आयुर्वेद के क्षेत्र में विकास व नवाचार: प्रो भट्ट

गुरुवार के व्याख्यान के दूसरे विशिष्ट वक्ता केजीएमयू लखनऊ के पूर्व कुलपति प्रो एल.एम. बी. भट्ट ने कहा कि आयुर्वेद का प्रादुर्भाव वैदिक काल में अथर्ववेद में हुआ। आयुर्वेद बीमारियों से रोकथाम एवं बचाव के साथ ही उनके उपचार की एक सुव्यवस्थित प्रणाली है। यह आयुर्वेद की महत्ता ही है कि इसे हमारी ज्ञान परम्परा और संस्कृति में पंचम वेद के रूप में मान्यता दी गई। प्रो भट्ट ने कहा कि देश की आजादी के बाद से वर्ष 2014 तक समय-समय पर आयुर्वेद के विकास के लिए कुछ कदम उठाए गए। लेकिन, अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ तुलनात्मक रूप से देखें तो कहीं न कहीं आयुर्वेद नीति नियंताओं के सौतेले व्यवहार का शिकार रहा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में तथा 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद एवं आयुष के विकास व नवाचार की एक आंधी देखने को मिली। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 2014 में पीएम मोदी ने केंद्र में अलग आयुष मंत्रालय बनाया तो उत्तर प्रदेश में 2017 में योगी जी के सीएम बनने पर यहां अलग आयुष मंत्रालय देखने को मिला। देश में आयुर्वेद के विकास के लिए 2014 में नेशनल आयुष मिशन की स्थापना की गई। इसके तहत 31 मार्च 2020 तक जिला अस्पताल स्तर पर 497 पीएचसी स्तर पर 7779 तथा सब सेंटर स्तर पर 3922 आयुष केंद्रों की स्थापना की गई। प्रो भट्ट ने बताया कि मिशन कार्यों के लिए वर्ष 2022 23 में सरकार ने बजट को बढ़ाकर 800 करोड़ रुपए कर दिया है। उन्होंने 2014 के बाद आयुर्वेद तथा आयुष विधा से इलाज व शिक्षा को लेकर  हुए प्रयासों और हासिल उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा की। साथ ही बताया कि कोरोना कालखंड में आयुर्वेद का पुनरुत्थान देश व दुनिया ने देखा। आयुर्वेद के काढ़े को विदेशों में भी एलोपैथी चिकित्सालयों द्वारा प्रोत्साहित किया गया। गुजरात के जामनगर में वैश्विक आयुष नवाचार एवं निवेश शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र की स्थापना भारत की वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के लिए एक सिर्फ उपलब्धि है।

गुरुवार को व्याख्यानमाला में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एके सिंह व भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक डॉ जीएन सिंह सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी, स्वागत संबोधन गुरु गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्राचार्या डॉ डीएस अजीथा ने तथा आभार ज्ञापन साध्वी नंदन पांडेय ने किया। व्याख्यानमाला में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, गुरु श्रीगोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के प्रो गणेश बी पाटिल डॉ प्रज्ञा सिंह, डॉ सुमित कुमार, डॉ दीपू मनोहर, डॉ पीयूष वर्षा, डॉ एसएन सिंह, डॉ जसोबेन, डॉ प्रिया नायर आदि की सक्रिय सहभागिता रही। मंच संचालन शांभवी शुक्ला व आशीष चौधरी ने किया। व्याख्यान का शुभारंभ बीएएमएस की छात्राओं साक्षी सिंह, मंपी राय व दीक्षा द्वारा प्रस्तुत धनवंतरी वंदना एवं सरस्वती वंदना से तथा समापन मधुलिका सिंह, अंशिका जायसवाल, कहकशा, आसमा खातून व स्वाति सिंह के वंदे मातरम गान से हुआ। इस अवसर पर सभी शिक्षक व बीएएमएस प्रथम विद्यार्थी उपस्थित रहे।

गुरुवार का व्याख्यान

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के अंतर्गत 25 अगस्त को अपराह्न 3 बजे से ‘स्वतंत्रता संग्राम में सन्यासी’ विषय पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के आचार्य व पूर्व अध्यक्ष प्रो हिमांशु चतुर्वेदी व महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव का व्याख्यान होगा।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com