- तालाबों को संरक्षित करने का काम युद्ध स्तर पर जारी
- सीएम का आदेश मिलते ही तालाबों पर पहुंच रहे अधिकारी
- शहर और ग्राम वासियों को मिलेगा अनुकूल वातावरण
- वर्षा जल संचय के साथ-साथ भूगर्भ जल स्तर भी सुधरेगा
7 अगस्त, झांसी बुंदेलखंड का केंद्र बिंदु झांसी इन दिनों सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों से लगातार सुंदर होता जा रहा है। सीएम की रोचकता देखकर अधिकारी भी मौके पर जाकर योजनाएं बना रहे हैं। धरातल पर योजनाओं के उतरने से जल्द की यहां के दिन सबरने वाले हैं। वर्षा जल संचय करने के उद्देश्य को लेकर यहां पर शासन द्वारा बड़ा बजट खर्च कर तालाबों का सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है।
झांसी जनपद के जिला पंचायत द्वारा बबीना ब्लाक में पृथ्वीपुर नया खेड़ा में 3 हेक्टेयर क्षेत्र में 1 करोड़ रुपए की लागत से, बामोर में 67 लाख रुपए की लागत से, बड़ागांव में चंदेल तलाब का 1 करोड़ 25 लाख, टहरौली में छोटे तालाब का एक करोड़ की लागत से, ढिकौली में 81 लाख रुपए की लागत से तालाबों का सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। खिलार में 01 करोड़ 71 लाख से तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य कराया जा रहा है। जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम ने बताया कि सभी तालाबों का अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं। जल्द ही ग्रामों में स्थित जल स्रोतों की स्थिति पहले से बहुत बेहतर होने वाली है। उधर नगर निगम प्रशासन भी अपने क्षेत्र में स्थित तालाबों की स्थिति से लगातार रूबरू होकर युद्ध स्तर पर योजनाएं बनाने में जुटा हुआ है। राजगढ़ स्थित तालाब के सौंदर्यीकरण की योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए शनिवार को अधिकारियों ने इसे पर्यटन की दृष्टि से और अधिक विकसित करने पर जोर दिया है।
झांसी के पंचकुइया इलाके में स्थित पानी वाली धर्मशाला आज हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।स्थानीय लोगों के अलावा प्रदेश सरकार के मंत्री भी इसे देखने के लिए आ रहे हैं। इस आकर्षण का कारण है पानी वाली धर्मशाला का सौंदर्यीकरण। पानी वाली धर्मशाला का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत पुनरुद्धार किया गया है। इसमें सजावटी लाइटें और फव्वारे लगाए गए हैं।
पहले लगा रहता था गंदगी का अंबार
कुछ समय पहले तक पानी वाली धर्मशाला में गंदगी का अंबार लगा रहता था। यहां इतनी बदबू आती थी कि लोग इसके पास भी नहीं जाते थे। इस गंदगी क्या कारण था शहर के कई नालों का पानी। क्योंकि कई नालों का गंदे पानी को इसी बावड़ी में छोड़ दिया जाता था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत अब इन नालों के पानी को कहीं और डाइवर्ट कर दिया गया है।