- -जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही विधान मण्डल के सदस्यों का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य : राष्ट्रपति
- -राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने यूपी विधानमण्डल के संयुक्त सदन को किया संबोधित
- -आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित विशेष सत्र में नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष रहे मौजूद
लखनऊ। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को उप्र विधान मण्डल के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विधान मण्डल के सदस्यों से विशेष बात कही। उन्होंने कहा कि विधानमंडल लोकतंत्र का मंदिर होता है। जनता आप सबको अपना भाग्य विधाता मानती है। प्रदेश की जनता को आप सब से बहुत सी उम्मीदें, अपेक्षाएं हैं। उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही आपका सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आपकी जनसेवा के दायरे में सभी नागरिक शामिल हैं। चाहे उन्होंने आपको वोट दिया हो या न दिया हो। इसलिए हर व्यक्ति के हित में कार्य करना आपकी जिम्मेदारी है। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि अपनी संवैधानिक शपथ आप सभी अपने अपने क्षेत्रों के अलावा पूरे प्रदेश के लिए ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए कार्य करने के लिए वचनबद्ध हुए हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी के अथक परिश्रम से उत्तर प्रदेश शीघ्र ही हर तरह से उत्तम प्रदेश बनेगा।
उन्होंने कहा कि जब देश का सबसे बड़ा राज्य प्रगति के उत्तम मानकों को हासिल करेगा तो स्वत: ही देश विकास के सम्बल को प्राप्त होगा। मंह आशा करता हूं कि आज के 25 वर्ष बाद जब देश के लोग आजादी के 100 वर्ष पर उत्सव मना रहे होंगे तब उत्तर प्रदेश विकास के मानकों पर भारत के अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित हो चुका होगा और हमारा देश विश्व समुदाय में विशिष्ट देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा होगा।
क्रांतिवीरों की याद में हों व्याख्यानमालाएं
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित इस विशेष सत्र के दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने उप्र विधान सभा के गौरवशाली इतिहास को याद किया। प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों में रानी लक्ष्मी बाई से लेकर राम प्रसाद विस्मिल के नामों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उप्र के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची इतनी लंबी है कि सबका नाम लेना संभव नहीं है। इसलिए मै चाहूंगा कि स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिवीरों की याद में शिक्षण संस्थानों में व्याख्यानमालाएं आयोजित की जाएं। उनके जीवन यात्रा के बारे में युवा पीढ़ी को अवगत कराया जाए।
उप्र विधान सभा का सदस्य बनना सौभाग्य की बात
राष्ट्रपति ने कहा कि इस सदन का हिस्सा बनना बड़े सौभाग्य की बात है। उप्र दौरा हमारे पैतृक गांव और प्रारम्भिक जीवन यात्रा को करीब से देखने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे गांव का दौरा किया। वहां के लोगों को संबोधित किया। गोरखपुर में गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होना और गोरखनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने का अवसर मिलना हमारे लिए गौरव की बात है। राष्ट्रपति ने अपने वाराणसी दौरे के बारे में भी जिक्र किया। गांधी जी ने 1916 में वाराणसी दौरे के दौरान काशी की अव्यवस्था को उठाया था। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने काशी की स्थिति में बेहतरीन सुधार किया है।
विधानसभा में महिलाओं संख्या बढ़नी चाहिए
उन्होंने कहा कि उप्र विधानसभा का सदस्य होना आप सबके लिए गौरव की बात है। उप्र विधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 47 है। इतनी संख्या से संतोष नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में केवल पांच सदस्य हैं। इस दिशा में हमे व्यापक प्रयास करना होगा। भारत की संविधान सभा में भी उप्र के ही सबसे अधिक सदस्य रहे हैं। विधान भवन के जिन गलियारों में आप सबका आना जाना होता है, उन्हीं गलियारों में वे महापुरुष आते जाते रहे हैं। पुराने मुख्यमंत्रियों के साथ मुलायम सिंह यादव और मायावती ने प्रदेश का वर्षों कुशल नेतृत्व किया है। देश को प्रथम महिला प्रधानमंत्री देने का गौरव भी उप्र को ही प्राप्त है। चंद्रशेखर, राजीवगांधी, अटल बिहारी बाजपेयी के बाद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उप्र को ही अपना संसदीय क्षेत्र चुना है।
विश्व में सबसे अच्छी उपजाऊ धरती उप्र की
सुचेता कृपलानी प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उस घटना को हमे महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देखा जाना चाहिए। हाल के वर्षों में सड़कों के निर्माण में बढ़ोत्तरी हुई है। उप्र के युवा अनेक राज्यों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। पर्यटन, फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में अद्भुत प्रयास किया गया है। उप्र जैसी उपजाऊ भूमि पूरे विश्व व भारत के अन्य प्रदेशों में नहीं हैं। कृषि क्षेत्र में प्रयास कर राज्य की आर्थिक दशा में सुधार किया जा सकता है। पहली राज्यपाल महात्मा गांधी की शिष्या सरोजनी नायडू थीं, आज की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल हैं। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि सदन में दोनों पक्षों को मिलकर कार्य करना चाहिए। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विचार अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन वैमनष्यता नहीं होनी चाहिए। इससे पूर्व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी सदन को संबोधित किया।